भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे क्यों टीम इंडिया के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ियों में से एक हैं। 12 जुलाई 2025 को लॉर्ड्स में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन उन्होंने अपने बल्लेबाजी कौशल और धैर्य का अद्भुत प्रदर्शन किया। ऐसे समय में जब टीम को स्थिरता की सख्त जरूरत थी, जडेजा ने मोर्चा संभाला और अपनी सूझ-बूझ वाली बल्लेबाज़ी से भारत को संकट से उबारा।
जब टीम को जरूरत थी, जडेजा ने थामा कमान
भारत की पारी उस समय लड़खड़ा रही थी जब प्रमुख बल्लेबाज आउट होकर पवेलियन लौट चुके थे। स्कोरबोर्ड पर 250 रन के करीब पांच विकेट गिर चुके थे और इंग्लैंड के गेंदबाज हावी थे। ऐसे में रविंद्र जडेजा क्रीज पर आए और पहले पिच को समझा, गेंदबाजों का सामना किया और धीरे-धीरे अपने शॉट्स खेलने शुरू किए। उनकी बल्लेबाज़ी में संयम, क्लास और आत्मविश्वास साफ नज़र आ रहा था।
जडेजा ने 131 गेंदों में शानदार 72 रन बनाए, जिसमें 8 चौके और 1 खूबसूरत छक्का शामिल था। उन्होंने निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ अहम साझेदारियां कीं और भारत को इंग्लैंड के स्कोर (387 रन) तक पहुंचाया।
तकनीकी दृष्टि से मजबूत पारी
रविंद्र जडेजा की यह पारी तकनीकी रूप से भी बेहद मजबूत थी। उन्होंने ऑफ स्टंप के बाहर गेंदों को छोड़ने में धैर्य दिखाया, शॉर्ट गेंदों को नियंत्रण से खेला और जब भी मौका मिला, कवर और मिडविकेट की दिशा में शानदार ड्राइव लगाए। उनकी बल्लेबाज़ी में कोई जल्दबाज़ी नहीं थी, बल्कि अनुभव और मैच की परिस्थितियों को समझकर जवाब देने की परिपक्वता थी।
जडेजा ने इंग्लैंड के मुख्य गेंदबाजों जैसे क्रिस वोक्स, जोफ्रा आर्चर और मार्क वुड का शानदार सामना किया। उनके सामने न झुकते हुए उन्होंने बखूबी बल्लेबाज़ी की और गेंदबाजों को थकाया। यही वजह थी कि भारतीय पारी इंग्लैंड के स्कोर तक पहुंच पाई।
रनआउट से बचते-बचते – मानसिक मजबूती का परिचय
जब ऋषभ पंत दुर्भाग्यपूर्ण रनआउट का शिकार हुए, उस वक्त मैदान पर माहौल बेहद तनावपूर्ण था। ऐसे में रविंद्र जडेजा की मानसिक मजबूती और स्थिरता ने भारत की उम्मीदों को ज़िंदा रखा। उन्होंने बल्लेबाजी के दौरान न सिर्फ रन जोड़े, बल्कि टीम के बाकी खिलाड़ियों को भी भरोसा दिलाया कि यह मैच अभी दूर नहीं गया है।
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फील्डिंग और ऑलराउंड इंपैक्ट
हालांकि 12 जुलाई को जडेजा को गेंदबाज़ी का बहुत अधिक मौका नहीं मिला, लेकिन उनकी फील्डिंग हमेशा की तरह टॉप लेवल पर रही। उन्होंने पॉइंट और कवर क्षेत्र में कई रन रोके और विपक्षी टीम पर दबाव बनाए रखा। उनका ऑलराउंड प्रभाव भारतीय टीम की मजबूती का एक अहम स्तंभ बना हुआ है।
क्या कहता है यह प्रदर्शन?
रविंद्र जडेजा का यह प्रदर्शन एक उदाहरण है कि कैसे कोई खिलाड़ी मैदान पर जिम्मेदारी निभा सकता है जब बाकी खिलाड़ी फेल हो रहे हों। उनकी पारी ना सिर्फ स्कोर बोर्ड पर अहम रही, बल्कि उसने टीम के आत्मविश्वास को भी बढ़ाया। उन्होंने दिखाया कि टेस्ट क्रिकेट में स्थिरता, धैर्य और सही टाइमिंग कितनी जरूरी होती है।
आगे के लिए संकेत
अगर जडेजा का यह फॉर्म आगे भी इसी तरह बरकरार रहा, तो भारत इस टेस्ट सीरीज़ को अपने नाम करने की पूरी क्षमता रखता है। उन्होंने न सिर्फ रन बनाए, बल्कि टीम को इंग्लैंड के मुकाबले मनोवैज्ञानिक रूप से भी बराबरी पर ला खड़ा किया।