
सोने की ताज़ा कीमत और गिरावट का कारण
भारतीय बाजार में सोने की कीमत में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, सोने की कीमत गिरकर ₹97,087 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई है। वहीं, विश्लेषकों का मानना है कि अगर बाज़ार में मौजूदा रुझान जारी रहता है तो सोने की कीमत ₹96,700 से ₹96,200 प्रति 10 ग्राम तक भी जा सकती है।
इस गिरावट के पीछे कई वैश्विक और घरेलू कारण माने जा रहे हैं। अमेरिका और ईरान-इज़राइल संघर्ष में हल्की नरमी, डॉलर इंडेक्स में मजबूती और क्रूड ऑयल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर सोने की कीमत पर पड़ रहा है।
विशेषज्ञों की सलाह: ‘सेल ऑन राइज़’ रणनीति अपनाएं
बाजार विशेषज्ञों की मानें तो वर्तमान स्थिति में “सेल ऑन राइज़” (ऊपर जाते ही बेचना) की रणनीति को अपनाना बेहतर रहेगा। इसका मतलब है कि अगर सोने की कीमत ₹97,300 से ₹97,400 के स्तर तक जाती है, तो निवेशक वहां से मुनाफावसूली कर सकते हैं। वहीं, अगर कीमत ₹96,700 से नीचे जाती है, तो अगले समर्थन स्तर ₹96,200 तक गिरावट संभव है।
क्या अब सोने में निवेश करना सही है?
सोना हमेशा से ही सुरक्षित निवेश (Safe Haven) के रूप में देखा जाता रहा है। लेकिन मौजूदा अस्थिर बाजार में निवेशकों को सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए। अगर आप दीर्घकालिक निवेशक हैं और 2-3 साल का नजरिया रखते हैं, तो यह गिरावट आपके लिए सोना खरीदने का सुनहरा अवसर साबित हो सकता है। वहीं, जो लोग शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग करना चाहते हैं, उन्हें विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही कदम बढ़ाना चाहिए।
घरेलू मांग पर भी असर
भारत में शादी-ब्याह और त्योहारों के सीज़न में सोने की मांग में इज़ाफा देखा जाता है। लेकिन इस बार कीमत में तेज़ी के बाद आई गिरावट से लोगों की खरीदारी पर थोड़ी रोक लगी है। ज़्यादातर लोग इंतजार कर रहे हैं कि कीमतें और नीचे आएं, ताकि सस्ते दामों पर खरीदारी की जा सके।
वैश्विक कारक भी जिम्मेदार
वैश्विक स्तर पर अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व अगर ब्याज दरों में बदलाव करता है, तो डॉलर मजबूत होता है, जिससे सोने पर दबाव आता है। इसके अलावा, रूस-यूक्रेन संकट, मध्य-पूर्व में तनाव, क्रूड ऑयल की कीमतें और चीन की आर्थिक गतिविधियां भी सोने की कीमत को प्रभावित करती हैं।
निवेशकों के लिए जरूरी सुझाव
1. बाजार पर पैनी नजर रखें – रोज़ाना सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमत और रुपये की स्थिति पर नज़र रखना जरूरी है।
2. विशेषज्ञों की सलाह लें – बिना जानकार की सलाह के भारी निवेश से बचें।
3. लंबी अवधि का नजरिया रखें – अगर आप सोना खरीद रहे हैं, तो कम से कम 2-3 साल के लिए सोचें।
4. फिजिकल गोल्ड की बजाय डिजिटल विकल्प भी देखें – गोल्ड ETF, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसी योजनाएं बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं।
सोने की कीमतों में गिरावट निवेशकों के लिए चिंता का विषय जरूर है, लेकिन यह दीर्घकालिक नजरिए से एक अच्छा अवसर भी हो सकता है। बाजार में उतार-चढ़ाव सामान्य प्रक्रिया है, ऐसे में घबराने की बजाय सोच-समझकर और रणनीति के तहत निवेश करना बेहतर विकल्प है।